Kya 500 Rupay Ke Stamp Paper Par Sign Karne Se Divorce Ho Sakta Hai

क्या 500 रु. के स्टांप पर साइन करने से कोर्ट मैरिज हो सकती है?

आये दिन आपने ऐसी खबरे पढ़ी होगी जिसमे ये देखने को मिलता है की लड़का और लड़की ने 500 रूपये के स्टाम्प पर साइन करके कोर्ट मैरिज करली। लेकिन आपको पता है इस तरीके से कोई 500 के स्टाम्प पर साइन करवाकर शादी की बात करता है तो ये इल्लीगल होता है? जी हाँ, कानून की नज़रो में ऐसी शादी की कोई मान्यता नहीं होती है। इस ब्लॉग में आप जानेंगे की यदि कोई व्यक्ति ऐसे किसीकी शादी करवाता है हो 500 रूपये के स्टाम्प पर तो शादी क़ानूनी रूप से मान्य नहीं है।

नोटरी और कोर्ट में सक्रिय दलालों की मदद से हर माह 45 से 50 लड़के और लड़कियों की जिंदगी दांव पर लगाई जाती है। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा जो धोखा होता है वो लड़कियों के साथ होता है। ऐसा इसलिए क्यूंकि लड़कियों को शादी का झूठा वादा करके सम्बन्ध बना लेते है फिर वो उनसे ऐसे 500 रूपये के स्टाम्प पर साइन झूटी शादी कर लेते है। इससे लड़कियों को ये लगता है की उनकी शादी हो गई लेकिन असल में ऐसी शादी की कोई वैल्यू नहीं होती है। लड़कियों को झांसे में लेने के लिए लड़के ऐसी स्टांप या नोटरी मैरिज का सहारा ले रहे हैं। और ज्यादातर युवतियां काेर्ट मैरिज के फेर में इस कागजी शादी के जाल में फंस जाती हैं। इसमें सबसे खास बात यह देखने को मिलती है कि कोर्ट मैरिज के नाम पर स्टांप पेपर साइन करने वाली लड़कियों में ग्रामीण या कम पढ़ी-लिखी लड़कियां ही नहीं बल्कि जॉब करने वाली शहरी लड़कियां भी शामिल हैं। और इसमें भी सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कानून की नजर में ऐसी शादी अवैध होती है लेकिन ऐसी शादियों की संख्या कम होने की बजाये लगातार बढ़ रही हैं।

कुछ वकील दलाल और नोटरी की मिलीभगत से धड़ल्ले से चल रहे है इस प्रकार के इल्लीगल काम:

  • फैमिली कोर्ट के बहुत से वकीलों का कहना है कि स्टांप या नोटरी पर साइन करवाकर कोर्ट मैरिज का इल्लीगल काम कोर्ट में सक्रिय दलालों और नोटरी की मिली भगत से चल रहा है।
  • इसमें दलाल ये कहते है और ऐसा लालच देते है की तुम्हे कोर्ट के कोई चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे यदि ऐसे शादी करोगे तो। और कोर्ट की पूरी प्रोसेस से बचने के लिए वे नोटरी मैरिज की सलाह देते हैं।
  • इसमें कुछ वकील जो चंद रुपयों के लिए ऐसे काम करते है और नोटरी वाले भी उनकी मदद करते हैं। इन सबको यह पता होता है कि लड़का या लड़की कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए नाम मात्र की शादी करना चाहता या चाहते हैं, जिसका ये फायदा उठाते हैं।
  • पीड़ित लड़किया ऐसे वकील और नोटरी के खिलाफ भी धोखाधड़ी की शिकायत कर सकती है। हालांकि कोर्ट में वकीलों के खिलाफ इस तरह के मामले काम ही देखने को मिलते है।

केस 1: लड़की ने तीसरी बार अबॉर्शन नहीं कराया तो युवक ने तोड़ दिया रिश्ता:

  • भोपाल की एक लड़की भी स्टांप मैरिज की शिकार हुई। लड़के ने खुद को एसडीएम का बेटा बताया और लड़की से स्टांप पेपर पर शादी कर ली। इसके बाद दोनों साथ रहने लगे। इन दो साल में लड़की 2 बार प्रेगनेंट हुई और उसका दो बार अबॉर्शन कराना पड़ा।
  • तीसरी बार लड़की ने अबॉर्शन कराने से इनकार कर दिया तो लड़के ने उसके साथ कर दिया। जब लड़की ने कहा की हमारी हो गई है तुम मुझे ऐसे नहीं छोड़कर जा सकते है। तो लड़के ने कहा कि इस स्टांप पेपर पर लिखे एग्रीमेंट का कोई कानूनी आधार नहीं है।
  • लड़की ने लड़के के खिलाफ थाने में ज्यादती का मामला दर्ज करा दिया। लड़का फिलहाल जमानत पर बहार गया।दूसरी तरफ लड़की के परिवार ने दवाब में आकर कहा की उन्हें केस नहीं लड़ना है।
  • लड़की के परिवार का कहना है कि जब इस शादी का कोई कानूनी आधार ही नहीं है तो हम कोर्ट केस कैसे लड़ेंगे। ऐसे ही जाने कितने ही लोग होंगे जो कोर्ट में केस रजिस्टर ही नहीं करवाते है ऐसी झूटी और अवैध शादी की।
  • इसी तरीके से स्टांप पेपर तैयार करने वाले नोटरी या दलालों के खिलाफ भी कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाता है।

जिला विधिक प्राधिकरण में जो काउंसलिंग के केस आते है उनमे भी स्टांप मैरिज के केस ज्यादा देखने को मिलते है और इसका चलन लगातार बढ़ रहा है। काउंसलिंग के लिए आने वाले दस में से सात मामले ऐसी शादियों के ही हाेते हैं। इनमें अच्छे परिवारों के पढ़े-लिखे लड़के लड़किया भी होते हैं। फैमिली कोर्ट में हर दूसरे दिन कोई कोई ऐसा जोड़ा आता है, जो स्टाम्प पेपर पर साइन करके मैरिज करना चाहता है। कई अच्छे वकील उन्हें साफ-साफ बता देते हैं कि इसका कोई कानूनी आधार नहीं है। इसके बाद वे किसी और वकील से मिलकर ऐसे पेपर तैयार कर लेते हैं। और जब वकील मना क्र देता है तो कोई टाइपिस्ट या फिर दलाल मैटर बनवा देता है। इस प्रकार से स्टाम्प पर मैरिज का धंधा आसानी चल रहा है।

केस 2: थाने में शिकायत की तो कर ली स्टाम्प पर शादी पर अब लड़का भाग गया:

  • ये मामल भी भोपाल का है। लड़की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती थी। कंपनी के मैनेजर ने लड़की से शादी का वादा कर सेक्सुअल रिलेशनशिप बना लिए। लड़की जब प्रेग्नेंट हुई तो लड़के ने शादी से इनकार कर दिया। लड़की ने महिला थाने में शिकायत की तो लड़का शादी के लिए तैयार हो गया।
  • लड़के ने कोर्ट मैरिज के नाम पर लड़की से 500 के स्टांप पर साइन करवा लिए। दस दिन बाद ही लड़का लड़की को किसी अनजान अस्पताल ले गया, जहां डॉक्टर ने बताया कि उसका गर्भपात हो गया है। इस घटना के 20 दिन बाद ही लड़का गायब हो गया।
  • लड़की जब दोबारा लड़की की शिकायत लेकर महिला थाने पहुंची तो उसे बताया गया कि स्टांप मैरिज का कोई भी कानूनी आधार नहीं है, इसलिए लड़के के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है।

500 रूपये के स्टाम्प पर शादी, केवल साथ रहने का शपथ-पत्र हैं। जिसका कानून की नज़रो में कोई आधार नहीं:

ऐसे 500 रूपये के स्टाम्प पर शादियों का कोई कानूनी आधार नहीं है। कई बार लोग जानबूझकर कानूनी झमेले से बचने के लिए एसी शादियां करते हैं। हालांकि ऐसे पेपर में कहीं भी शादी का जिक्र नहीं होता है। यह केवल साथ रहने का एक मात्र शपथ-पत्र होता है।

स्टाम्प क्या है?

  • हर व्यक्ति को कभी कभी किसी किसी काम को लेकर स्टाम्प पेपर की जरूरत लगती रहती है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसे कभी स्टाम्प पेपर से कोई वास्ता रहा हो। शपथ पत्र से लेकर सेल डीड तक स्टाम्प पेपर की आवश्यकता होती है। यह स्टाम्प पेपर एक नोट की तरह कार्य करते हैं।हालांकि इन्हें नोट की तरह किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं किया जाता है। इसका केवल एक वेंडर होता है जो लोगों को स्टाम्प जारी करता है और जिस व्यक्ति को स्टाम्प जारी किया गया है केवल वही व्यक्ति उस काम का उपयोग कर सकता है।
  • लीज एग्रीमेंट, खरीद-फरोख्त, प्रॉपर्टी, बिजनेस / कॉन्ट्रैक्ट अग्रीमेंट, लोन अग्रीमेंट / फाइनेंशियल डील्स, पावर ऑफ अटॉर्नी, एफिडेविट, एसोसिएशन ऑफ आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन, मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन, क्षतिपूर्ति बॉन्ड, डिक्लेरेशन सहित लेन-देन सहित कानूनी निहितार्थ वाले लगभग सभी दस्तावेज / समझौते, बॉन्ड, गिफ्ट डीड आदि को वैध और कानूनी रूप से लागू करने के लिए स्टाम्प पेपर का उपयोग किया जाता है।
  • जैसे कि जब भी कोई दो व्यक्ति आपस में किसी भी प्रकार का लेनदेन करते हैं तब उसमें सरकार का भी एक हिस्सा होता है उस हिस्से को हम टैक्स बोल सकते हैं। किसी अचल संपत्ति को खरीदते समय या उससे संबंधित कोई भी हस्तांतरण करते हुए हमें सरकार को कोई कोई धनराशि अदा करनी होती है। जैसे किसी संपत्ति को जब खरीदा जाता है तब उसकी रजिस्ट्री की आवश्यकता होती है तो ऐसी रजिस्ट्री के लिए एक निर्धारित राशि के स्टाम्प की आवश्यकता होती है।

स्टाम्प के प्रकार: स्टाम्प दो प्रकार के होते हैं:

1. न्यायिक स्टाम्प पेपर

2. गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर

न्यायिक स्टाम्प पेपर:

आमतौर पर, न्यायिक स्टाम्प पेपर का उपयोग कानूनी उद्देश्य के लिए या अदालती मामलों की कार्यवाही के लिए या कानूनी प्रक्रियाओं को जारी रखने के लिए किया जाता है। इन स्टाम्प पेपरों को कोर्ट फीस स्टाम्प पेपर के रूप में भी जाना जाता है। नकद लेनदेन से बचने के लिए न्यायालय में न्यायालय शुल्क के भुगतान के लिए न्यायिक स्टाम्प पेपर का उपयोग किया जाता है।

गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर:

गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर का उपयोग आम तौर पर पावर ऑफ अटॉर्नी, बिक्री विलेख, किराया समझौते, शपथ पत्र, अचल संपत्ति के हस्तांतरण जैसे भवन, भूमि, बॉन्ड या अन्य महत्वपूर्ण समझौतों, शपथ पत्र, ऋण सुरक्षा, आदि के लिए किया जाता है।

स्टाम्प शुल्क की वसूली के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार टिकटों का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में रु 10, रु 20, रु 50, रु .100, रु के गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर उपलब्ध हैं। रु 500, रु.1000, रु.5000, रु.10000, रु.15000, रु.20000 और रु.25000 के भी उपलब्ध हैं।

हमें उम्मीद है कि आपको हमारे लिखित ब्लॉग पसंद आए होंगे। आप हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध अन्य कानूनी विषयों पर ब्लॉग भी पढ़ सकते हैं। आप हमारी वेबसाइट पर जाकर हमारी सेवाओं को देख सकते हैं। यदि आप किसी भी मामले में वकील से कोई मार्गदर्शन या सहायता चाहते हैं, तो आप हमें help@vakilkaro.co.in पर मेल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं या हमें +91 9828123489 पर कॉल कर सकते हैं।

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About The Auhor : Advocate Khushboo Jangid

Advocate Khushboo Jangid is a highly accomplished LLB graduate who received a gold medal for her academic excellence. She is a skilled writer focusing on legal issues, including impacting women and children. Her work in the field of law has garnered widespread recognition and praise.

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